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In my last blog on ‘Rudraksha’, I have discussed the procedure of wearing 9 Mukhi Rudraksha and briefed about the same. 

In this blog, I will throw some light on 10 Mukhi Rudraksha.

10 Mukhi Rudraksh is the form of Yama and this 10 Mukhi Rudraksha is considered to be the rarest of rare. It is (10 Mukhi Rudraksha) considered to be of great importance in the Tantric field and in the Mantrik field.

Benefits of Wearing 10 Mukhi Rudraksha 

The person who wears 10 Mukhi Rudraksha around his neck or under shoulder/armpit/forearm does not have any kind of black magic effect on him like Maaran, sammohan, Vashikaran, Uchatan etc.

A person who wears this type of Rudraksha (10 Mukhi Rudraksha) has neither any wrath of premature death nor any kind of danger of accident. He is protected from all kinds of obstacles and hindrances.

When a person rubs 10 Mukhi Rudraksh with milk and drinks this liquid, then she/he gets health benefits. He becomes completely free from diseases especially respiratory ailments such as Cough, Cold, Bronchial Asthma. 

This 10 Mukhi Rudraksha is believed to be the form of Par-Brahma Swaroopa Lord Shri Vishnu ji. By wearing this 10 mukhi Rudraksha, a person gets fame and respect in the whole world.

10 Mukhi Rudraksha Mantra

Om Hrim Kleem Gloum Hrim Stroum 


10 Mukhi Rudraksha Viniyog 

Asya Shri Janardan Mantrashya Narad Rishi Anusthupa Chhand, Janardano Devta Shreem Bijam, Hrim Shakti: Abhisth Siddharthe Rudraksha Dhaaranarthe Jape Viniyoga

10 Mukhi Rudraksha Nyasa 

Shree Narad Rishiye Namah Shirish, 

Anusthupa Chhandse Namo Mukhe, 

Jarnadan Devtaaye Namo Hyadi 

Shreem Beejaay Namo Gruhe 

Hrim Shaktye Namah Paadyo 


10 Mukhi Rudraksha Kar Nyasa 

Om Om Angusthabhyam Namaha

Om Shreem Tarjanibhyam Swahaa, 

Om Hrim Madhyabhyam Voshad 

Om Kleem Anamikyabhyam Hum

Om Vrim Kanistha-Bhyam Voshad

Om Om Kar Pusthabhyam Phat 

10 Mukhi Rudraksha Ashtang Nyasa

Om-Om Hydayaay Namaha

Om Shreem Shirshe Swahaa

Om Hrim Shikhaaye Voshad

Om Kleem Kawachaay Hum

Om Vrim Netra-Trayaay Voshad 

Om Om Astraya Phat

10 Mukhi Rudraksha Dhyan Mantra

Vishnu Sharad chandra koti Sasdsya Shankh Rathangam Gada Mama Bhojam Da-Dhatam Sitaabhaj Nilayam Kantyaa Jagmohanam I

Aabha-dhaang Da-Haar Kund Mahamouli Sfura kankanam Shree Vatsaaka Mrudaar Koustubha Dharam Vande Muninendra Ssatutham II

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Shiv Darshan-Abhilashi,

Nirav Hiingu

१० मुखी रुद्राक्ष धारण करने के फायदे

यह 10 मुखी रुद्राक्ष यम का स्वरूप है और यह 10 मुखी रुद्राक्ष लगभग  देव दुर्लभ माना गया है। तांत्रिक क्षेत्र में और मन्त्रिक क्षेत्र में इसका (10 मुखी रुद्राक्ष ) बहुत ही अधिक महत्व माना गया है। 

जो व्यक्ति गले में दस मुखी रुद्राक्ष धारण कर लेता है उस पर मारन मोहन वशीकरण उच्चाटन आदि कोई भी प्रकार का काला जादू का प्रभाव नहीं होता। 

ऐसा व्यक्ति जो इस प्रकार का रुद्राक्ष (10 मुखी रुद्राक्ष) धारण करता है । उस पर न तो अकाल मृत्यु का कोई प्रकोप होता है न ही दुर्घटना का कोई भी प्रकार का ख़तरा ही होता है । वह सभी प्रकार का विध्न और बाधाओं से सुरक्षित रहता है। 

दूध के साथ यदि १० मुखी रुद्राक्ष  को घिसकर तीन बार चटाया जाय तो उस मनुष्य की कुक्कर खासी नमक – बीमारी से पूर्ण रूप से मुक्त  होकर उसे स्वास्थ्य लाभ होता है। 

यह १० मुखी रूद्राक्ष साक्षात परब्रह्म श्री विष्णु जी का स्वरूप माना गया है । इसको धारण करने से व्यक्ति समस्त संसार में प्रसिद्धि और मान सम्मान प्राप्त करता है।

१० मुखी रुद्राक्ष मंत्र 10 Mukhi Rudraksha Mantra

ॐ ह्रीं क्लीं व्रीं  । इति मंत्र ।

१० मुखी रुद्राक्ष विनियोग 

अस्य श्री जर्नादन मन्त्रशय नारद ऋषि । अनुष्टुप छन्द, जनादर्नो  देवता श्रीं बीजं , ह्रीं शक्ति: अभीष्ट सिद्धयर्थे रुद्राक्ष धारणार्थे जपे विनियोग:॥ 

१० मुखी रुद्राक्ष न्यास 

श्रीनारद ऋषिये नमः शिरषि ।

अनुष्टुप  छन्दसे नमो मुखे ।

जर्नादन देवताये नमो हदि । 

श्रीं बीजाय नमो गुहे ।

ह्रीं शक्तये नमः पादयो: ॥

१० मुखी रुद्राक्ष करन्यास 

ॐ ॐ अंगुष्ठाभ्याम नमः 

ॐ श्रीं तर्जनीभ्याम स्वाहा:।

ॐ ह्रीं मध्याभ्याम वौषट।

ॐ क्लीं अनामिकाभ्याम हुम्।

ॐ व्रीं कनिष्ठाभ्याम वौषट।

ॐ ॐ करतल कर पुष्ठाभ्यां फट।

१० मुखी रुद्राक्ष अष्टांग न्यास

ॐ ॐ हृदयाय नमः ।

ॐ श्रीं शिरसे स्वाहा ।

ॐ ह्रीं शिखाये वौषट।

ॐ क्लीं कवचाय हूँ ।

ॐ व्रीं नेत्रत्रयाय वौषट।

ॐ ॐ अस्त्राय फट ।

१० मुखी रुद्राक्ष ध्यान मंत्रम 


विष्णु : शारद चंद्र कोटि सदॄशं शंखं रथांगं गदा ममभोजम दधतम सीताब्ज निलयम कान्त्या जगमोहनम   । 

आबढ़ांग दहार कुंड महामौलि स्फुर कंकणम श्री वत्सांक मुदार कौस्तुभ धरम वन्दे मुनिनेद्र स्तुतम     ॥

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शिवदर्शन अभिलाषी,

नीरव हींगु