Importance of 6 Mukhi Rudraksha in Shaivism
In my last blog on ‘Rudraksha’, I have discussed the procedure of wearing 5 Mukhi Rudraksha and briefed about the same.
In this blog, I will throw some light on 6 Mukhi Rudraksha.
Devotees in Shaivya Path Consider 6 Mukhi Rudraksh also called Ganapati Rudraksh and consider it helpful in attaining Riddhi Siddhi- i.e obtaining the desired result or outcome for the devotees.
Some Sadhaks-Sadhikas also consider it to be the form of Kartikeya. It is said that by wearing it, Mother Annapurna resides in the house of the devotees and makes the person full of wealth and happiness.
Note – Here Sadhak/Sadhika means a person who performs the sadhana ritual to get the blessing of the deity or demigods. Sadhak is said for the mens and sadhika is said for women.
Benefits of Wearing 6 Mukhi Rudraksha
Indian sages say that this 6 Mukhi Rudraksha is beneficial for human race and there are many benefits by wearing it, such as –
1) By wearing 6 Mukhi Rudraksha, perfection is attained in every work.
2) Wearing this Rudraksha gives amazing success in business.
3) It is said that by wearing it, there is no shortage of any kind from the physical point of view of the person.
4) Along with this, many types of diseases have been seen to be removed by wearing 6 Mukhi Rudraksha – such as hysteria, fainting, gynecological diseases such as leucorrhoea, menstrual disorders, mental frustration etc.
5) By wearing 6 mukhi rudraksha , the yoga of poverty i.e one gets rid of sadness and misery and also the ill fortune is destroyed and there is attainment of success.
It is said that by proving this 6 Mukhi Rudraksha – by wearing it, there is no disturbance in life and life is spent happily.
6 Mukhi Rudraksha Mantra
Om Hrim Shreem Kleem Aeim
6 Mukhi Rudraksha Viniyog
Asya Shri Mantrasaya Dakshina Murti Rishi Panktish Chhand, Kartikeya Devta Aeim Bijam, Soum Shakti: Kleem Kilakam Abhisth Siddharthe Rudraksha Dhaaranarthe Jape Viniyoga
6 Mukhi Rudraksha Nyasa
Dakshina Murti Rishiye Namah Shirish,
Panktish Chhandse Namo Mukhe,
Kartikeya Devtaaye Namo Hyadi
Aiem Beejaay Namo Gruhe
Soum Shaktye Namah Paadyo
6 Mukhi Rudraksha Kar Nyasa
Om Om Angusthabhyam Namaha
Om Hrim Tarjanibhyam Swahaa,
Om Shreem Madhyabhyam Voshad
Om Kleem Anamikyabhyam Hum
Om Soum Kanistha-Bhyam Voshad
Om Aeim Kar Pusthabhyam Phat
6 Mukhi Rudraksha Ashtang Nyasa
Om-Om Hydayaay Namaha
Om Hrim Shirshe Swahaa
Om Shreem Shikhaaye Voshad
Om Kleem Kawachaay Hum
Om Soum Netra-Trayaay Voshad
Om Aeim Astraya Phat
6 Mukhi Rudraksha Dhyan Mantra
Kloum Parvat Vidaraan Lolo , Davendra Vanita Krut Khand Chut Pallav Shiromani Chopi Bheesh Danaann Jagt-Pari Paahi II
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Shiv Darshan-Abhilashi,
Nirav Hiingu
छह मुखी रुद्राक्ष और शैव पथ 6 Mukhi Rudraksha Shaiv Path Me
साधक गण छह मुखी रुद्राक्ष को गणपति रुद्राक्ष भी कहते है और इसको रिद्धि सिद्धि प्राप्त करने में सहायक मानते है ।कुछ साधक – साधिका इसे कार्तिकेय का स्वरूप भी मानते है । कहते है इसे धारण करने से साधक – साधिका के घर में साक्षात माँ अन्नपूर्णा का वास घर में हो जाता है और व्यक्ति को धन – धान्य से परिपूर्ण कर देता है ।
ऐसे साधक / साधिका के घर में किसी भी प्रकार की कमी नहीं महसूस होती – उसका पूरा जीवन सुख सम्पत्ति से युक्त होता है ।
६ मुखी रुद्राक्ष धारण करने के फायदे
भारतीय मनीषियों का कहना है कि यह रुद्राक्ष उन्नति-दायक होता है और इसे धारण करने से कई फायदे होते है यथा –
१) ६ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से हर एक कार्य में पुर्णता प्राप्त होती है ।
२) इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यापार में अधभुत सफलता मिलती है ।
३) कहते है कि, इसे धारण करने से व्यक्ति कि भौतिक दृष्टि से कोई भी प्रकार कि कमी नहीं होती ।
४) इसके साथ साथ, ६ मुखी रुद्राक्ष धारण करने से कई प्रकार के रोग दूर होते हुए देखे गए है – जैसे हिस्टिरया , मूर्छा , स्त्री रोग जैसे – प्रदर , मासिक सबहिक रोग , मानसिक कुंठा आदि ।
५) इसे धारण करने से दारिद्रय नाश और पूर्ण लक्ष्मी प्राप्ति के योग बनते है ।
कहते है इसे ६ मुखी रुद्राक्ष को सिद्ध करके – धारण करने से जीवन में किसी भी प्रकार का उपद्रव नहीं होता और जीवन सुखमय व्यतीत होता है ।
६ मुखी रुद्राक्ष मंत्र 6 Mukhi Rudraksha Mantra
ॐ ह्रीं श्रीं कलीम । ऐं । इति मंत्र ।
६ मुखी रुद्राक्ष विनियोग
अस्य श्री मन्त्रशय दक्षिणा मूर्ति ऋषि । पंक्तिशछन्द, कार्तिकेय देवता ऐं बीजं , सौं शक्ति: कलीम कीलकम अभीष्ट सिद्धयर्थे रुद्राक्ष धारणार्थे जपे विनियोग:॥
६ मुखी रुद्राक्ष न्यास
दक्षिणा मूर्ति ऋषिये नमः शिरषि ।
पंक्तिशछन्दसे नमो मुखे ।
कार्तिकेय देवताये नमो हदि ।
ऐं बीजाय नमो गुहे ।
सौं शक्तये नमः पादयो: ॥
६ मुखी रुद्राक्ष करन्यास
ॐ ॐ अंगुष्ठाभ्याम नमः
ॐ ह्रीं तर्जनीभ्याम स्वाहा:।
ॐ श्रीं मध्याभ्याम वौषट।
ॐ कलीम अनामिकाभ्याम हुम्।
ॐ सौं कनिष्ठाभ्याम वौषट।
ॐ ऐं करतल कर पुष्ठाभ्यां फट।
६ मुखी रुद्राक्ष अष्टांग न्यास
ॐ ॐ हृदयाय नमः ।
ॐ ह्रीं शिरसे स्वाहा ।
ॐ श्रीं शिखाये वौषट।
ॐ कलीम कवचाय हूँ ।
ॐ सौं नेत्रत्रयाय वौषट।
ॐ ऐं अस्त्राय फट ।
६ मुखी रुद्राक्ष ध्यान मंत्रम
कौं पर्वत विदारण लोलो । दानवेन्द्र वनिता कृत खंड । चुत पल्लव शिरोमणि चोपि । भीष दानन जगत्परि पाहि ॥
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शिवदर्शन अभिलाषी,
नीरव हींगु
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