8 Mukhi Rudraksha Benefits
In my last blog on ‘Rudraksha’, I have discussed the procedure of wearing 7 Mukhi Rudraksha and briefed about the same.
In this blog, I will throw some light on 8 Mukhi Rudraksha.
Here 8 Mukhi Rudraksha represents Ashtha-Vasu and Ashtha-Devi.
It has a great contribution to the attainment of knowledge, mental consciousness and concentration of the mind. Even after a lot of efforts, when the seeker is unable to concentrate in meditation or there is no awakening of Kul Kundalini Shakti, then wearing 8 main Rudraksha gives success in sadhana.
Benefits of Wearing 8 Mukhi Rudraksha
This Rudraksha is extremely useful for the business class because progress is necessary for every business and it is said that by wearing this 8-Mukhi Rudraksha business grows multi-folds.
Some scholars also say that 8-Mukhi Rudraksha helps natives in betting, gambling, jockey rider and sudden money gain. 8-Mukhi Rudraksha is totally helpful.
Just as there is any disease in any person’s body, it is destroyed through medicines, in the same way, 8 Mukhi Rudraksha proves to be very helpful in acute diseases. This 8 Mukhi Rudraksha can be used to remove all kinds of pain and attain peace.
If a person’s body is prone to minor diseases such as gas, paralysis, ascites etc., usage of 8 Mukhi Rudraksha is considered to be effective.
This 8 Mukhi Rudraksha is also a symbol of Ashta-Vasu. Any kind of negative feeling gets eliminated by wearing it.
This Rudraksha is helpful for attaining perfection in the physical and spiritual sphere also hence this is also considered to be completely helpful in attaining liberation.
8 Mukhi Rudraksha Mantra
Om Hraam Greem Lam Aam Shreem
8 Mukhi Rudraksha Viniyog
Asya Shri Ganesh Mantrashya Bharghav Rishi Anusthup Chhand, Vinayako Devta Greem Bijam, Adam Shakti: Chaturvaga Siddharthe Rudraksha Dhaaranarthe Jape Viniyoga
8 Mukhi Rudraksha Nyasa
Bhargava Rishiye Namah Shirish,
Anusthupa Chhandse Namo Mukhe,
Vinayako Devtaaye Namo Hyadi
Greem Beejaay Namo Gruhe
Aaam Shaktye Namah Paadyo
8 Mukhi Rudraksha Kar Nyasa
Om Om Angusthabhyam Namaha
Om Hraam Tarjanibhyam Swahaa,
Om Greem Madhyabhyam Voshad
Om Lam Anamikyabhyam Hum
Om Aaam Kanistha-Bhyam Voshad
Om Shreem Kar Pusthabhyam Phat
8 Mukhi Rudraksha Ashtang Nyasa
Om-Om Hydayaay Namaha
Om Hraam Shirshe Swahaa
Om Greem Shikhaaye Voshad
Om Lam Kawachaay Hum
Om Aaam Netra-Trayaay Voshad
Om Shreem Astraya Phat
8 Mukhi Rudraksha Dhyan Mantra
Haratu Kul Ganesho Vidna Sandhaan Sheshaan I
Nayantu Sakala Sampoorna-taam Sadhakaanaam I
Pibantu Batuknath Shosheeth Nimna Kaanaam I
Dishantu Sakal Kaamaan Kouli Kaanaam Ganesh : II
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Shiv Darshan Abhilash,
आठ मुखी रुद्राक्ष और उसका महत्व 8 Mukhi Rudraksha aur Uska Mahatva
यहाँ रुद्राक्ष अस्त वसु और अष्टदेवी का प्रतिनिधितत्व करता है। ज्ञान प्राप्ति, मानसिक चेतना और चित्त की एकाग्रता में इसका बड़ा योगदान है। जब काफ़ी प्रयत्न करने के बाद भी साधक का ध्यान एकाग्र नहीं होता या कुल कुंडलिनी शक्ति का जागरण नहीं होता तब उस समय इस 8 मुख्य रुद्राक्ष धारण करने से साधना- सफलता मिलती है।
8 मुखी रुद्राक्ष धारण करने के फायदे 8 Mukhi Rudraksha Ke Fayde
व्यापारी वर्ग के लिए यह रुद्राक्ष परम उपयोगी है क्योंकि प्रत्येक व्यापार में उन्नति आवश्यक है और यह आठ मुख्य रुद्राक्ष व्यापार में उन्नति देता ही देता है और कुछ विद्वान का यह भी कहते हैं के सट्टे , जुए, गुड़ सवार और आकस्मिक धन लाभ में यह ८ मुखी रुद्राक्ष पूरी तरह से सहायक होता है।
प्रत्येक प्रकार के वेदना दूर करने में और शांति प्राप्ति के लिए यह 8 मुख्य रूद्राक्ष उपयोग में लिया जा सकता है। जिस प्रकार किसी भी व्यक्ति के शरीर में कोई रोग होता है तो दवाई के माध्यम से उसको नष्ट किया जाता है उसी प्रकार छोटे मोटे लोगों में 8 मुख्य रुद्राक्ष बहुत सहायक सिद्ध होता है। यदि किसी व्यक्ति के शरीर पर छोटे मोठे रोगों व्याप्त हो जैस गैस पक्षपात जलोदर आदि रोगों में इसका प्रयोग सफल माना गया है।
यह ८ मुखी रुद्राक्ष अष्ट वसु का प्रतीक भी है । किसी भी प्रकार का नकारामक भाव इसे धारण करने से समाप्त हो जाता है। यह रूद्राक्ष भौतिक और आध्यात्मिक क्षेत्र में पूर्णता प्राप्त के लिए सहायक होता है और यह रुद्राक्ष मुक्ति प्राप्ति में पूर्ण रूप से सहायक माना गया है।
८ मुखी रुद्राक्ष मंत्र 8 Mukhi Rudraksha Mantra
ॐ ह्रां ग्रीम लं आं श्रीं इति मंत्र ।
८ मुखी रुद्राक्ष विनियोग
अस्य श्रीगणेश मन्त्रशय भार्गव ऋषि । अनुष्टुप छन्द, विनायको देवता ग्रीम बीजं , आं शक्ति: चतुर्वर्ग सिद्धयर्थे रुद्राक्ष धारणार्थे जपे विनियोग:॥
८ मुखी रुद्राक्ष न्यास
भार्गव ऋषिये नमः शिरषि ।
अनुष्टुप छन्दसे नमो मुखे ।
विनायको देवताये नमो हदि ।
ग्रीम बीजाय नमो गुहे ।
आं शक्तये नमः पादयो: ॥
८ मुखी रुद्राक्ष करन्यास
ॐ ॐ अंगुष्ठाभ्याम नमः
ॐ ह्रां तर्जनीभ्याम स्वाहा:।
ॐ ग्रीम मध्याभ्याम वौषट।
ॐ लं अनामिकाभ्याम हुम्।
ॐ आं कनिष्ठाभ्याम वौषट।
ॐ श्रीं करतल कर पुष्ठाभ्यां फट।
८ मुखी रुद्राक्ष अष्टांग न्यास
ॐ ॐ हृदयाय नमः ।
ॐ ह्रां शिरसे स्वाहा ।
ॐ ग्रीम शिखाये वौषट।
ॐ लं कवचाय हूँ ।
ॐ आं नेत्रत्रयाय वौषट।
ॐ श्रीं अस्त्राय फट ।
८ मुखी रुद्राक्ष ध्यान मंत्रम
हरतु कुल गणेशो विध्न संधान शेषान ।
नयतु सकल सम्पूर्णतां साधकानां ।
पिबन्तु बटुकनाथ: शोषितं निम्न कानाम ।
दिशंतु सकल कामां कौलिकानाम गणेश: ॥
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शिवदर्शन अभिलाषी,
नीरव हींगु
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