What is Hanuman Gayatri Mantra ?
In Kalyug, Siddhii of Shri Hanuman ji is the easiest of all. Like Maa Durga, Hanuman ji listens to the call of his devotees provided the devotees have full faith.
No matter how difficult the task is, Hanuman ji will fulfill that task but only if the intention of that work should be pure.
Although many mantras and stotras of Hanuman’s worship are prevalent in India, but today I will share my knowledge about the ‘Hanuman Gayatri Mantra’ for the accomplishment of all types of tasks.
You should know that only by reciting Hanuman Gayatri Mantra and reciting hymns, your wishes will be fulfilled only if it is completely Satvik and for public welfare.
Many people believe that if they make any mistake in Hanuman worship, then it is a big sin, but the worship of Hanuman ji depends on the purity of your feelings.
That’s why if at all, there is any mistake in the worship of Hanuman, in hymns or his sattvic worship, he forgives and blesses for the true loyalty of his devotees, and completes their work.
I would like to guide my readers with the simple method of worshipping Hanuman ji.
Who should Chant Hanuman Gayatri Mantra ?
This sadhana method is for those Hanuman worshipers who want to chant the Hanuman mantra daily as well as for the devotees who do not worship Hanuman ji daily but only worship Him for the fulfillment of wishes or in times of crisis.
All the wishes get fulfilled by the grace of Hanuman ji.
If the devotee includes Hanuman Upasak Kavach, Hanuman Chalisa and Hanuman Aarti, and finally Hanuman Ashtak in his daily routine and also chants 1(108 beads/counts) or 11 rounds of Gayatri Mantra of Hanuman ji, then surely his wish is fulfilled.
In Hanuman upasna, it should be kept in mind that although Hanuman is an independent deity, he is not an independent deity because he worships his Lord Shri Ram.
That’s why before chanting every mantra of Hanuman worship, one should remember Lord Shri Ram or chant the name of Ram 108 times. If there is time and interest, sadhak can recite ‘Ram Raksha Stotra’ 1 or 5 times before chanting Hanuman Mantra.
Hanuman Gayatri Mantra Sadhana:
In fact, three or four Hanuman Gayatri mantras are found in the scriptures, such as
Om Anjaneyaya Vidmihe Vayuputraya Dhimahi | Tanno: Hanumat Prachodayat ||1||
Om Ramdutaya Vidmihe Kapirajaya Dhimahi | Tanno: Maruti: Prachodayat ||2||
Om Anjanisutaya Vidmihe Mahabalaya Dhimahi | Tanno: Maruti: Prachodayat ||3||
But today I will tell you the secret of a very confidential Hanuman Gayatri Mantra, which not only gives relief from troubles but also fulfills wishes. I had received this mantra from my Guru ji, from Brahma Muni ji.
You will find many such mantras on my website which may not be found in any book or book because many classical mantras are from the Guru Shishya tradition and being in Gurmukhi many such mantras are secretive and impossible to be found in any books.
“Om Anjani Putra Aaya Dhimahi Tanno Hanuman Prachodayat.”
Sadhana Method for Hanuman Gayatri Mantra :
Sadhak or Sadhika should sit in pure clothes facing east, on a red aasan in the Brahma Muhurta, after taking bath etc..
Keep the idol/photo of Shri Hanuman ji on a red cloth.
Light a mustard oil lamp in front of Hanuman ji and offer churma or gram flour(besan) laddoos.
“Om Gang Ganapataye Namah.”
Now chant a rosary of Guru Mantra like –
“Om Namah Shivay”
Then recite Ramraksha Stotra –
Now do five rounds of Hanuman Gayatri Mantra for 21 days and those Hanuman worshipers who want to adopt this method in daily order can chant only one or five rounds of mantra daily, not taking it as a ritual.
After chanting the rosary mantra, do one recitation of Ram Raksha Stotra.
Now apologize with Shama Prathana Mantra for Hanuman Gayatri Mantra Sadhana :
Avahanam na janami na janami Swamasva Pareshwaram, Pooja Chaiv na janami Swamasva Sureshwar, Yatpujitam Maya Dev Paripoornam Tadastu Me.
Now bow down straight on ground in front of Hanuman ji and get up from the seat.
You have to chant 21 rounds daily for 21 days.
The most important thing in Hanuman Sadhana is to have complete control on the mind, speech, and action and observe celibacy through words, thoughts, and deeds.
If you cannot follow celibacy through mind, words, and deeds, then never worship Hanumanji.
Sattvic Diet, Strict Observance of celibacy, and restraint on speech are essential in Hanumanji Worship.
I hope Hanuman worshipers will benefit from my short article.
Hanuman Darshan Aspirant
कलयुग में श्री हनुमान जी की सिद्धि सबसे ज्यादा आसान है और बड़ी सुगम भी है। मां दुर्गा की तरह ही हनुमान जी अपने भक्तों की पुकार तुरंत दौड़ पड़ते हैं और यदि भक्तों में पूर्ण निष्ठा हो उन्हें अपने स्तर के प्रति पूर्ण विश्वास हो तो कोई दो राय नहीं कि चाहे कैसा भी कठिन कार्य हो हनुमान जी उस कार्य की पूर्ति अवश्य करते हैं पर वह कार्य की पूर्ति सात्विक होनी चाहिए तभी वह कल्याणकारी और लाभदायक होती है।
वैसे तो हनुमान की उपासना के कई मंत्रों और स्तोत्र भारतवर्ष में प्रचलित हैं पर आज सर्व कार्य सिद्धि के लिए हनुमान गायत्री मंत्र का विवेचन करूंगा। आपको ज्ञात हो कि हनुमान गायत्री मंत्र के पठन और स्तोत्र उच्चारण मात्र से आप अपनी मनोकामना अवश्य ही सिद्ध होती है ।
यदि वह पूर्ण रूप से सात्विक और लोक कल्याणकारी हो। कई लोगों का यह मानना है कि यदि हनुमान उपासना में कोई त्रुटि रह जाती है तो बहुत बड़ा पाप लगता है पर हनुमान जी की साधना आपकी भावना पर निर्भर करती है, वे भावना के भूखे हैं।
इसलिए हनुमान की उपासना में भजन में या फिर उनकी सात्विक उपासना में कोई भी भूल हो जाती है तो उसे क्षमा कर देते हैं और अपने भक्तों की सच्ची निष्ठा पर करते हुए तुरंत दौड़कर उनका कार्य पूर्ण कर देते हैं।
यहां पर हनुमान जी की उपासना कैसे की जाती है उसका हम छोटा सा विधान आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं आशा है कि पाठकों को इसका मार्गदर्शन मिलेगा।
कौन कर सकता है हनुमान गायत्री मंत्र साधना ? Koun Kar Sakta hai Hanuman Gayatri Mantra
यह साधना विधि हनुमान उपासकों के लिए है जो दैनिक रूप से (रोज) हनुमान मंत्र का जाप करना चाहते हैं और यदि जो भक्त हनुमान की उपासना ना कर सके और केवल मनोकामना पूर्ति या संकट की घड़ी में यह विधान अपनाता है तो भी निश्चय ही उस पर हनुमान जी की कृपा होती है और उसके कार्यों की पूर्ति होती ही है।
यदि भक्त हनुमान उपासक कवच, हनुमान चालीसा और हनुमान आरती और अंत में हनुमान अष्टक को अपने दैनिक क्रम में शामिल कर दे और साथ ही हनुमान जी का गायत्री मंत्र की १ या ११ माला मंत्र जप करे तो अवश्य ही उसकी मनोरथ पूर्ति होती है।
हनुमान गायत्री मंत्र साधना के नियम
हनुमान उपासना में यह ध्यान रखना चाहिए कि हनुमान स्वतंत्र देवता होते हुए भी स्वतंत्र देवता नहीं है क्योंकि वह अपने प्रभु श्री राम की उपासना में होते हैं।
इसलिए प्रत्येक हनुमान उपासना के मंत्र करने से पूर्व भगवान श्री राम का स्मरण करना चाहिए या प्रभु श्री रामचंद्र जी की एक माला करनी चाहिए या फिर राम नाम का 108 बार जाप करना चाहिए।
यदि समय और रूचि हो तो साधक हनुमान मंत्र के जाप से पूर्व राम रक्षा स्तोत्र का 1 या 5 बार कर सकते हैं।
हनुमान गायत्री मंत्र साधना: Hanuman Gayatri Mantra
यूं तो हनुमान गायत्री मंत्र शास्त्रों में तीन या चार मिलते हैं जैसे कि
ॐ आंजनेयाय विद्मिहे वायुपुत्राय धीमहि | तन्नो: हनुमत् प्रचोदयात ||1||
ॐ रामदूताय विद्मिहे कपिराजाय धीमहि | तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||2||
ॐ अन्जनिसुताय विद्मिहे महाबलाय धीमहि | तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||3||
पर आज मैं आपको एक अति गोपनीय हनुमान गायत्री मंत्र का रहस्य बताऊंगा जिसका न केवल संकटों से मुक्ति अपितु मनोकामना पूर्ति भी होती है। यह मंत्र मुझे अपने गुरु जी से, ब्रह्मा मुनि जी से प्राप्त हुआ था।
मेरी वेबसाइट पर ऐसे कई मंत्र आपको मिलेंगे जो शायद किसी पुस्तक या ग्रंथ से ना मिलते हो क्योंकि कई शास्त्रीय मंत्र गुरु शिष्य परंपरा से और गुरुमुखी होने ऐसे कई मंत्रों अत्यंत गोपनीय है जिसका वर्णन किसी ग्रंथों में मिलना असंभव है।
Hanuman Gayatri Mantra
“ओम अंजनी पुत्र आया धीमहि तन्नो हनुमान प्रचोदयात।”
हनुमान गायत्री मंत्र साधना: Hanuman Gayatri Mantra Sadhana Ka Vidhan
साधक या साधिका को चाहिए कि प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में और स्नान आदि कार्य पूर्ण करने के पश्चात शुद्ध वस्त्र पूर्व की ओर मुख करके लाल आसन पर बैठ जाएं।
सामने चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर श्री हनुमान जी की छवि रखें।
हनुमान जी के सामने सरसों का तेल का दिया प्रज्वलित करें और चूरमा या बेसन के लड्डू अर्पित करें।
अब गणेश मंत्र की एक माला जाप करें यथा –
“ओम गं गणपतए नमः।”
अब गुरु मंत्र की एक माला करें यथा – ओम नमः शिवाय।
रामरक्षा स्तोत्र की एक पाठ करें –
अब हनुमान गायत्री मंत्र की पांच वाला 21 दिन तक करें और जो हनुमान उपासक दैनिक क्रम में इस विधान को अपनाना चाहते हैं वह चाहे अनुष्ठान के रूप में ना लेकर केवल नित्य एक या पांच माला मंत्र जाप कर सकता है।
माला मंत्र जप हो जाने के पश्चात पुनः राम रक्षा स्तोत्र की एक पाठ करें।
अब क्षमा प्रार्थना करें –
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जन, पूजा पूजा चैव न जानामि क्षम्यस्व परमेश्वर, मंत्र हीनं क्रिया हीनं भक्ति हीनम सुरेश्वर, यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे । ।
अब हनुमान जी को साष्टांग प्रणाम करके आसन से उठ जाए।
२१ दिनों तक नित्य आपको २१ माला जाप करनी है ।
हनुमान साधना में सबसे महत्वपूर्ण है मन, वचन और कर्म से शरीर और वाणी पर पूरा संयम रखना और वाचा मनसा कर्मणा से ब्रह्मचर्य पालन करना है। यदि आप मन, वचन, कर्म से ब्रह्मचर्य पालन नहीं कर सकते तो हनुमान उपासना कदापि ना करें। हनुमान उपासना में सात्विक आहार, ब्रह्मचर्य पालन और वाणी पर संयम, परम आवश्यक है।
आशा रखता हूं मेरे छोटे से लेख से हनुमान उपासकों को लाभ होगा।
नीरव हिंगु
हनुमान दर्शन अभिलाषी
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