श्रावण मास २०२४ के लिए शिव मंत्र : Shravan Mass 2024 Aur Shiv Panchakshar Mantra Sadhana
चूंकि श्रावण मास २०२४ नजदीक है, इसलिए मैंने श्रावण मास २०२४ पर विशेष रूप से शिव पंचाक्षर मंत्र (Shiv Panchakshar Mantra ) पर ब्लॉग लिखने के बारे में सोचा।
Shiva Panchakshar Mantra me Om Lagana Chahiye Ya Nahi
पञ्चाक्षर मन्त्र Shiv Panchakshar Mantra के आदि में Om / ओंकार लगाकर ही सदा उसका जप करना चाहिये।
शिवमहापुराण के अनुसार – सुत महाराज कहते हैं- द्विजो ! गुरु के मुख से पञ्चाक्षरमन्त्र का उपदेश पाकर जहाँ सुखपूर्वक निवास किया जा सके, ऐसी उत्तम भूमिप महीने के पूर्वपक्ष (शुक्ल) में (प्रतिपदासे) आरम्भ करके कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तक निरन्तर जप ब्राह्मणों का वरण करने के पश्चात् पूजन-सामग्री को एकत्र करके भगवान् शिवका पूजन आरम्भ करें।
विधि पूर्वक शिव की पूजा सम्पन्न करके शिव पंचाक्षर मंत्र के ५ लाख जाप, करके ५ लाख जाप के दशांश होम आरम्भ करें।
Shiv Panchakshar Mantra Kab Japna Chahiye
माघ और भादों के महीने अपना विशिष्ट महत्त्व रखते हैं। यह समय सब समयों से उत्तमोत्तम माना गया है। पर श्रावण मास शिव पंचाक्षर मंत्र साधना के लिए अति उत्तम समय है ।
Shiv Panchakshar Mantra Sadhana ke Niyam
साधक को चाहिये कि वह प्रतिदिन एक बार परिमित भोजन करे, मौन रहे, इन्द्रियों को वश में रखे, अपने स्वामी एवं माता-पिता की नित्य सेवा करे। – शिवमहापुराण
इस नियम से रहकर जप करने वाला पुरुष एक सहस्र जप से ही शुद्ध हो जाता है, अन्यथा वह ऋणी होता है। – शिवमहापुराण
भगवान् शिव का निरन्तर चिन्तन करते हुए पञ्चाक्षर-मन्त्र Shiv Panchakshar Mantra का पाँच लाख जप करें।
शिव पंचाक्षर मंत्र साधना में ब्रह्मचर्य पालन होना जरूरी है ।
शिव पंचाक्षर मंत्र साधना में जितना हो सके मन-वचन-कर्म में शुद्धता रखें अर्थात सत्य वाणी का ही आचरण करें।
शिव पंचाक्षर मंत्र साधना में साधक स्वयं-पाकी हो – अर्थांत स्वयं ही अपना भोजन बनाये – यदि ऐसा संभव न हो तो – किसी शुद्ध वर्ण के इंसान के हाथ का भोजन ग्रहण करें।
भगवान् शिव के पूजन का ज्ञान न हो तो आप केवल पंचोपचार पूजन करे – अर्थांत – शिव पंचाक्षर मंत्र से गंध , चावल, पुप्ष , धूप, दीपक ( शुद्ध घी का ) , नैवेध अर्पित करके – शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करें।
Shiv Panchakshar Mantra Sadhana me Kaise Dhyan Karein
शिव पंचाक्षर मंत्र साधना में साधक जप काल में इस प्रकार ध्यान करें।
कल्याण दाता भगवान् शिव कमल के आसन पर विराजमान हैं। उनका मस्तक गंगाजी तथा चन्द्रमा की कला से आहुतियाँ स्वयं ही दे अथवा विद्वान् पुरुष सुशोभित है। उनकी बायीं जाँघ पर आदि शक्ति भगवती उमा बैठी हैं।
चलिए, अब शिव पंचाक्षर मंत्र साधना में साधक को कौन सा विनियोग, न्यास आदि करना चाहिए उसका विवरण देता हूं।
Shiv Panchakshar Mantra Sadhana
शिव मन्त्र : ॐ नमः शिवाय ।
विनियोग : ॐ अस्य श्री सदाशिव मन्त्रस्य वामदेव ऋषिः पंक्तिश्छन्दः, श्री
सदाशिवो देवता, ॐ बीजं, नमः शक्तिः शिवाय कीलकं ममाभीष्टसिद्धये जपे
विनियोगः ।
ऋष्यादिन्यास :
ॐ वामदेवाय ऋषये नमः शिरसि ।
ॐ पंक्तिश्छन्द से नम:-मुखे !
ॐ श्री सदाशिव देवताये नमः -हृदि ।
ॐ बीजाय नमः – गुह्ये |
ॐ नमः शक्तये नमः -पादयोः ।
ॐ शिवाय कीलकाय नमः – सर्वाङ्ग ।
कराङ्गन्यास :
ॐ अंगुष्ठाभ्यां नमः हृदयाय नमः।
ॐ नं तर्जनीभ्यां नमः । शिरसे स्वाहा ।
ॐ मं मध्यमाभ्यां नमः शिखायै वषट् ।
ॐ शि अनामिकाभ्यां नमः कवचाय हुम् ।
ॐ शि अनामिकाभ्यां नमः कवचाय हुम् ।
ॐ वां कनिष्ठिकाभ्यां नमः नेत्रत्रयाय वौषट् ।
ॐ यं करतल, करपृष्ठाभ्यां नमः अस्त्राय फट् ।
ध्यान : ध्यायेत्रित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं.
रत्नाकल्बोज्ज्वलाङ्ग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम् ।
पद्मासीनं समन्तात्स्तुतममरगणैर्व्याघ्राकृति वसानं,
विश्वाद्यं विश्ववन्द्यं निखिलमयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम ॥
इस शिव पंचाक्षर मंत्र – ध्यान के बाद रुद्राक्ष की माला से ३० दिन के अंदर या तो सवा लाख या फिर ५ लाख मंत्र करें। इसके बाद दशांश हवन, हवन के दशांश तर्पण, मार्जन, ब्राह्मण आदि कर्म करना चाहिए ।
इस प्रकार शिव पंचाक्षर मंत्र अनुष्ठान से महादेव अति प्रसन्न होते है और यदि इस साधना को शुद्ध, सात्विक और निष्काम भाव से किया जाय – तो साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है ।
भगवन सदाशिव पर आप पर और पुरे परिवार पर आशीर्वाद प्राप्त हो इसी कामना से, मैं यहाँ अपनी कलम को पूर्णविराम देता हूं और आशा करता हूं, कि मेंरा यह लेख शिव पंचाक्षर मंत्र साधना से आपको त्वरित लाभ होगा ।
शिव दर्शन अभिलाषी,
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