Who is Ucchista Ganapati? उच्छिष्ट गणपति कौन हैं ?
उच्छिष्ट गणपति: तांत्रिक ग्रंथों में एक शक्तिशाली रूप
उच्छिष्ट गणपति, गणेश जी का एक विशेष रूप है जो तांत्रिक ग्रंथों में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
यह रूप गणेश-भक्तों के लिए अत्यंत लाभदायक माना जाता है। तांत्रिक साधना में उच्छिष्ट गणपति की आराधना से असाधारण सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
उच्छिष्ट गणपति की पूजा से मनुष्य के जीवन में आने वाली सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
यह रूप विघ्नों को नष्ट करने में सबसे सक्षम माना जाता है। गणेश भक्तों के लिए यह रूप विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी आराधना से न केवल भौतिक लाभ मिलता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी होती है।
तांत्रिक ग्रंथों के अनुसार, उच्छिष्ट गणपति की साधना से मनुष्य को असीम शक्ति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यह रूप भक्तों को तांत्रिक शक्तियों से परिपूर्ण करता है, जिससे वे अपने जीवन में आने वाली हर चुनौती का सामना कर सकते हैं।
निःसंदेह, उच्छिष्ट गणपति गणेश भक्तों के लिए एक अद्भुत वरदान है। इस रूप की आराधना से भक्त अपने जीवन में सफलता, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकते हैं।
Ucchista Ganapati Poojan : शक्ति और सफलता उच्छिष्ट गणपति पूजन : शक्तिशाली अनुष्ठान का मार्गदर्शन
गणेश पूजन एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान होता है जो आपको सफलता और समृद्धि की ओर ले जाता है।
उच्छिष्ट गणपति की पूजा करने के लिए इन चरणों का पालन करें:
1. स्नान करके शुद्ध हो जाएं और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
2. पूजा स्थल को स्वच्छ करें और गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
3. दीपक जलाकर धूप-अगरबत्ती जलाएं।
4. गणेश जी को लाल फूल, दूर्वा और मोदक अर्पित करें।
5. गणेश मंत्र का जाप करें:
“ॐ गं गणपतये नमः” ( १ माला )
6. पूरे १० दिनों तक नित्य यदि संभव हो तो ५ / ११ /१०८ बार गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें।
7. अथवा उच्छिष्ट गणपति मंत्र की नित्य १ या ५ माला – गणेश चतुर्थी से लेकर गणेश चतुर्दर्शी तक करें।
Ucchista Ganapati Mantra उच्छिष्ट गणपति मंत्र : “हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहाII”
8. अब गणेश आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
लड्डुअन के भोग लगे, संत करे सेवा एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
माथे पर सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया बाँझन को पुत्र देत, निर्धन को माया
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
पान चढ़े, फूल चढ़े, और चढ़े मेवा सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा
याद रखें, भक्ति और समर्पण के साथ पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
नियमित रूप से उच्छिष्ट गणपति की पूजा करने से आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे और बाधाएं दूर होंगी।
अगले हफ्ते यदि पाठक गण पसंद करेंगे तो गणपति जी का तांत्रिक मंत्र साधना प्रस्तुत करूँगा ।
यह तांत्रिक विधान तत्क्षण फल देने वाला विधान है । गणेश उत्सव के शुभ अवसर पर आप सभी को मेरी शुभ कामनाये ।
गणपति बाप्पा मोरिया ॥
आपका अपना,
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